आव आव विंध्य मइया बैठ अँगनइया

भजन 9 

आव आव विंध्य मइया बैठ अँगनइया , देब सतरंगिया बिछाई हो 

चुनी चुनी फुलवा गुलाब जूही बेला, देब चरनिया चढ़ाई हो 

गइया के घियना से होमिया करइबे, धुवना आकाश में जाइ हो 

हरी - हरी निमिया पे डरिबे झुलनवा, देबे सातो बहिनी झुलाई हो 

उमड़ी-घुमड़ि मेघ बरसे अंगनवा, निमिया मउर झरि जाइ हो 

रात दिन माई हम गोहार लगाई, माया दिहेसि भरमाई हो 

धुरिया बनाई लेतु रहिया के अपने, जीवन सफल हो जाई हो 

Comments